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Showing posts from October, 2017

7 Habits जो बना सकतीं हैं आपको Super Successful (Motivational Stories in Hindi for Success)

7 Habits जो बना सकतीं हैं आपको Super Successful (Motivational Stories in Hindi for Success) आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं घट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं,ये आप ही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपने विकल्प चुनते हैं. आप खुशियाँ चुनते हैं. आप दुःख चुनते हैं. आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी अनिश्चितता चुनते हैं. आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते हैं. आप साहस चुनते हैं. आप डर चुनते हैं. इतना याद रखिये कि हर एक क्षण, हर एक परिस्थिति आपको एक नया विकल्प देती है. और ऐसे में आपके पास हमेशा ये opportunity होती है कि आप चीजों को अलग तेरीके से करें और अपने लिए और positive result produce करें. Habit 1 : Be Proactive / प्रोएक्टिव बनिए Proactive होने का मतलब है कि अपनी life के लिए खुद ज़िम्मेदार बनना. आप हर चीज के लिए अपने parents या grandparents को नही blame कर सकते. Proactive लोग इस बात को समझते हैं कि वो “response-able” हैं. वो अपने आचरण के लिए जेनेटिक्स, परिस्थितियों, या परिवेष को दोष नहीं देते हैं. उन्हें पता होता है कि वो अपना व्यवहार खुद चुनते हैं. वही

ये 3 Motivational Stories in Hindi बदल देगीं आपकी जिंदगी

हौंसला बढ़ाने वाली ये तीन Inspiring Motivational Stories in Hindi आपको निराशा से निकालकर सफलता की ओर ले जायेंगी| सभी के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब सभी चीज़ें आपके विरोध में हो रहीं हों और हर तरफ से निराशा मिल रही हो| चाहें आप एक प्रोग्रामर हैं या कुछ और, आप जीवन के उस मोड़ पर खड़े होता हैं जहाँ सब कुछ ग़लत हो रहा होता है| अब चाहे ये कोई सॉफ्टवेर हो सकता है जिसे सभी ने रिजेक्ट कर दिया हो, या आपका कोई फ़ैसला हो सकता है जो बहुत ही भयानक साबित हुआ हो | लेकिन सही मायने में, विफलता सफलता से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है | हमारे इतिहास में जितने भी बिजनिसमेन, साइंटिस्ट और महापुरुष हुए हैं वो जीवन में सफल बनने से पहले लगातार कई बार फेल हुए हैं | जब हम बहुत सारे काम कर रहे हों तो ये ज़रूरी नहीं कि सब कुछ सही ही होगा| लेकिन अगर आप इस वजह से प्रयास करना छोड़ देंगे तो कभी सफल नहीं हो सकते | हेनरी फ़ोर्ड, जो बिलियनेर और विश्वप्रसिद्ध फ़ोर्ड मोटर कंपनी के मलिक हैं | सफल बनने से पहले फ़ोर्ड पाँच अन्य बिज़निस मे फेल हुए थे | कोई और होता तो पाँच बार अलग अलग बिज़निस में फेल होने और कर्ज़

होशिहार लड़की की शिक्षाप्रद कहानी | Shikshaprad Kahani In Hindi

बहुत सालो पहले की बात है, एक छोटे गाव में, किसी व्यापारी ने बदकिस्मती से एक साहूकार से बहोत ज्यादा पैसे ले रखे थे। साहूकार, जो पुराना और चिडचिडा था, वह अपने पैसो के बदले में व्यापारी से सौदा करना चाहता था। वो कहता था की यदि उसकी शादी व्यापारी की खुबसूरत बेटी से हुई तो वह उसके द्वारा लिए पैसो को भूल जायेंगा। व्यापारी के इस प्रस्ताव से व्यापारी और उसकी बेटी दोनों ही चिंतित थे। तभी व्यापारी ने कहा की – उसने एक खाली बैग में एक सफ़ेद और एक कला कंकड़ रखा है। उस लड़की को बैग में से कोई भी एक कंकड़ निकालना था। यदि उसकी बेटी ने काला कंकड निकाला तो वह लड़की साहूकार की पत्नी बन जाएँगी और उसकी पिता का कर्ज माफ़ कर दिया जायेंगा और यदि उस लड़की ने सफ़ेद कंकड़ निकाला तो उस लड़की की साहूकार से शादी नही होंगी और उसके पिता का कर्ज भी माफ़ कर दिया जायेंगा। लेकिन यदि उस लड़की ने कंकड़ निकालने से मना किया तो उसके पिता को जेल जाना होंगा। उस समय पिता और बेटी व्यापारी कंकड़ भरे रास्ते पर खड़े थे। जैसा की साहूकार और उनके बिच सौदा हुआ था। साहूकार दो कंकड़ उठाने के लिए निचे झुका। जैसे ही साहूकार ने दो कंकड़ उठाये उस लड़की की

बड़ा बनने के लिए बड़ा सोचो

अत्यंत गरीब परिवार का एक बेरोजगार युवक नौकरी की तलाश में किसी दूसरे शहर जाने के लिए रेलगाड़ी से सफ़र कर रहा था | घर में कभी-कभार ही सब्जी बनती थी, इसलिए उसने रास्ते में खाने के लिए सिर्फ रोटीयां ही रखी थी | आधा रास्ता गुजर जाने के बाद उसे भूख लगने लगी, और वह टिफिन में से रोटीयां निकाल कर खाने लगा | उसके खाने का तरीका कुछ अजीब था , वह रोटी का एक टुकड़ा लेता और उसे टिफिन के अन्दर कुछ ऐसे डालता मानो रोटी के साथ कुछ और भी खा रहा हो, जबकि उसके पास तो सिर्फ रोटीयां थीं!! उसकी इस हरकत को आस पास के और दूसरे यात्री देख कर हैरान हो रहे थे | वह युवक हर बार रोटी का एक टुकड़ा लेता और झूठमूठ का टिफिन में डालता और खाता | सभी सोच रहे थे कि आखिर वह युवक ऐसा क्यों कर रहा था | आखिरकार एक व्यक्ति से रहा नहीं गया और उसने उससे पूछ ही लिया की भैया तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, तुम्हारे पास सब्जी तो है ही नहीं फिर रोटी के टुकड़े को हर बार खाली टिफिन में डालकर ऐसे खा रहे हो मानो उसमे सब्जी हो | तब उस युवक ने जवाब दिया, “भैया , इस खाली ढक्कन में सब्जी नहीं है लेकिन मै अपने मन में यह सोच कर खा र

प्रेरणा का स्रोत

प्रेरणा का स्रोत दोस्तों ,जिंदगी है तो संघर्ष हैं,तनाव है,काम का pressure है, ख़ुशी है,डर है !लेकिन अच्छी बात यह है कि ये सभी स्थायी नहीं हैं!समय रूपी नदी के प्रवाह में से सब प्रवाहमान हैं!कोई भी परिस्थिति चाहे ख़ुशी की हो या ग़म की, कभी स्थाई नहीं होती ,समय के अविरल प्रवाह में विलीन हो जाती है। ऐसा अधिकतर होता है की जीवन की यात्रा के दौरान हम अपने आप को कई बार दुःख ,तनाव,चिंता,डर,हताशा,निराशा,भय,रोग इत्यादि के मकडजाल में फंसा हुआ पाते हैं हम तत्कालिक परिस्थितियों के इतने वशीभूत हो जाते हैं कि दूर-दूर तक देखने पर भी हमें कोई प्रकाश की किरण मात्र भी दिखाई नहीं देती , दूर से चींटी की तरह महसूस होने वाली परेशानी हमारे नजदीक आते-आते हाथी के जैसा रूप धारण कर लेती है और हम उसकी विशालता और भयावहता के आगे समर्पण कर परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी हो जाने देते हैं,वो परिस्थिति हमारे पूरे वजूद को हिला डालती है ,हमें हताशा,निराशा के भंवर में उलझा जाती है…एक-एक क्षण पहाड़ सा प्रतीत होता है और हममे से ज्यादातर लोग आशा की कोई किरण ना देख पाने के कारण हताश होकर परिस्थिति के आगे हथियार डाल

ट्रिपल फ़िल्टर टेस्ट

प्राचीन यूनान में सुकरात को महाज्ञानी माना जाता था. एक दिन उनकी जान पहचान का एक व्यक्ति उनसे मिला और बोला, ” क्या आप जानते हैं मैंने आपके एक दोस्त के बारे में क्या सुना ?” “एक मिनट रुको,” सुकरात ने कहा, ” तुम्हारे कुछ बताने से पहले मैं चाहता हूँ कि तुम एक छोटा सा टेस्ट पास करो. इसे ट्रिपल फ़िल्टर टेस्ट कहते हैं.” “ट्रिपल फ़िल्टर ?” ” हाँ, सही सुना तुमने.”, सुकरात ने बोलना जारी रखा.” इससे पहले की तुम मेरे दोस्त के बारे कुछ बताओ , अच्छा होगा कि हम कुछ समय लें और जो तुम कहने जा रहे हो उसे फ़िल्टर कर लें. इसीलिए मैं इसे ट्रिपल फ़िल्टर टेस्ट कहता हूँ. पहला फ़िल्टर है सत्य. क्या तुम पूरी तरह आश्वस्त हो कि जो तुम कहने जा रहे हो वो सत्य है? “नहीं”, व्यक्ति बोला, ” दरअसल मैंने ये किसी से सुना है और ….” ” ठीक है”, सुकरात ने कहा. ” तो तुम विश्वास के साथ नहीं कह सकते कि ये सत्य है या असत्य. चलो अब दूसरा फ़िल्टर ट्राई करते हैं, अच्छाई का फ़िल्टर. ये बताओ कि जो बात तुम मेरे दोस्त के बारे में कहने जा रहे हो क्या वो कुछ अच्छा है ?” ” नहीं , बल्कि ये तो इसके उलट…..” “तो”, सुकरात ने क

शिष्टाचार – स्वामी विवेकानंद के जीवन का एक प्रेरक प्रसंग

शिष्टाचार स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि–विश्व में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते हैं, क्योंकि उनमें समय पर साहस का संचार नही हो पाता और वे भयभीत हो उठते हैं। स्वामीजी की कही सभी बातें हमें उनके जीवन काल की घटनाओं में सजीव दिखाई देती हैं। उपरोक्त लिखे वाक्य को शिकागो की एक घटना ने सजीव कर दिया, किस तरह विपरीत परिस्थिती में भी उन्होने भारत को गौरवान्वित किया। हमें बहुत गर्व होता है कि हम इस देश के निवासी हैं जहाँ विवेकानंद जी जैसे महान संतो का मार्ग-दशर्न मिला। आज मैं आपके साथ शिकागो धर्म सम्मेलन से सम्बंधित एक छोटा सा वृत्तान्त बता रही हूँ जो भारतीय संस्कृति में समाहित शिष्टाचार की ओर इंगित करता है| 1893 में शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन चल रहा था। स्वामी विवेकानंद भी उसमें बोलने के लिए गये हुए थे।11सितंबर को स्वामी जी का व्याखान होना था। मंच पर ब्लैक बोर्ड पर लिखा हुआ था- हिन्दू धर्म – मुर्दा धर्म। कोई साधारण व्यक्ति इसे देखकर क्रोधित हो सकता था , पर स्वामी जी भला ऐसा कैसे कर सकते थे| वह बोलने के लिये खङे हुए और उन्होने सबसे पहले (

चिल्लाओ मत ।

एक हिन्दू सन्यासी अपने शिष्यों के साथ गंगा नदी के तट पर नहाने पहुंचा. वहां एक ही परिवार के कुछ लोग अचानक आपस में बात करते-करते एक दूसरे पर क्रोधित हो उठे और जोर-जोर से चिल्लाने लगे . संयासी यह देख तुरंत पलटा और अपने शिष्यों से पुछा ; ” क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं ?’ शिष्य कुछ देर सोचते रहे ,एक ने उत्तर दिया, ” क्योंकि हम क्रोध में शांति खो देते हैं इसलिए !” ” पर जब दूसरा व्यक्ति हमारे सामने ही खड़ा है तो भला उस पर चिल्लाने की क्या ज़रुरत है , जो कहना है वो आप धीमी आवाज़ में भी तो कह सकते हैं “, सन्यासी ने पुनः प्रश्न किया . कुछ और शिष्यों ने भी उत्तर देने का प्रयास किया पर बाकी लोग संतुष्ट नहीं हुए . अंततः सन्यासी ने समझाया … “जब दो लोग आपस में नाराज होते हैं तो उनके दिल एक दूसरे से बहुत दूर हो जाते हैं . और इस अवस्था में वे एक दूसरे को बिना चिल्लाये नहीं सुन सकते ….वे जितना अधिक क्रोधित होंगे उनके बीच की दूरी उतनी ही अधिक हो जाएगी और उन्हें उतनी ही तेजी से चिल्लाना पड़ेगा. क्या होता है जब दो लोग प्रेम में होते हैं ? तब वे चिल्लाते नहीं बल्कि धीरे-ध

दर्जी की सीख

एक दिन स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया ।वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा । उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं । फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सु ई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं । जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ? पापा ने कहा- बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ? बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ? इसका जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया । उत्तर था- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है । यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं औ

मेरी ताकत

जापान के एक छोटे से कसबे में रहने वाले दस वर्षीय ओकायो को जूडो सीखने का बहुत शौक था . पर बचपन में हुई एक दुर्घटना में बायाँ हाथ कट जाने के कारण उसके माता -पिता उसे जूडो सीखने की आज्ञा नहीं देते थे . पर अब वो बड़ा हो रहा था और उसकी जिद्द भी बढती जा रही थी . अंततः माता -पिता को झुकना ही पड़ा और वो ओकायो को नजदीकी शहर के एक मशहूर मार्शल आर्ट्स गुरु के यहाँ दाखिला दिलाने ले गए .गुरु ने जब ओकायो को देखा तो उन्हें अचरज हुआ कि , बिना बाएँ हाथ का यह लड़का भला जूडो क्यों सीखना चाहता है ? उन्होंने पूछा , “ तुम्हारा तो बायाँ हाथ ही नहीं है तो भला तुम और लड़कों का मुकाबला कैसे करोगे .” “ ये बताना तो आपका काम है” ,ओकायो ने कहा . मैं तो बस इतना जानता हूँ कि मुझे सभी को हराना है और एक दिन खुद “सेंसेई” (मास्टर) बनना है ” गुरु उसकी सीखने की दृढ इच्छा शक्ति से काफी प्रभावित हुए और बोले , “ ठीक है मैं तुम्हे सीखाऊंगा लेकिन एक शर्त है , तुम

सफलता का रहस्य / Secret of Success in Hindi

एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है? Secret To Success Secret To Success सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो. वो मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया.लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नहीं पड़ने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना. सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?” लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना” सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके आलावा और कोई रहस्य नहीं है.