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Showing posts from August, 2023
क्या है बर्बरीक कुंड की महिमा...?? भारत में एक ऐसा मंदिर है, जिसके रहस्य के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है, ये मंदिर देश से लेकर विदेश तक अपने कुंड के लिए मशहूर है।भारत में एक ऐसा मंदिर है, जिसके रहस्य (Secret) के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है, ये मंदिर देश से लेकर विदेश तक अपने कुंड के लिए मशहूर है, दरअसल इस मंदिर में एक ऐसा कुंड है जो हमेशा ही पानी से भरा रहता है, और इस कुण्ड में नहाने के लिए साल भर लोगों का तांता लगा रहता है,बर्बरीक कुंड यानि श्याम कुंड के बारे में, जो भारत के राजस्थान (Rajasthan) के जयपुर(Jaipur) में स्थित एक मशहूर मंदिर खाटू श्याम बाबा के मंदिर का हिस्सा है, खाटू वाले बाबा के मंदिर में स्थित ये कुंड अपने अंदर बहुत से रहस्यों को दबाए हुए है। बाबा श्याम के इस विख्यात मंदिर की कई मान्यताएं और कहानियां (Stories) है, बाबा के मंदिर में मौजूद ये कुंड अपनी उत्पत्ति को लेकर भी कई रहस्य छिपाए हुए है, कहा जाता है कि आज से हजारों साल पहले जब यहां केवल मिट्टी ही थी, तब यहां रोज गाय आया करती थी, और जानवर आया करते थे और इस स्थान पर पहुंचने के बाद ग

इतिहास में छुपाया गया एक सच ....वीर सावरकर जी ।

इतिहास में छुपाया गया एक सच ....वीर सावरकर जी । 45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल पेरवाते हैं, रस्सी बटवाते हैं और छिलके कूटवाते हैं। वो तमाम कैदियों को शिक्षित कर रहा होता है, उनमें राष्ट्रभक्ति की भावनाएँ प्रगाढ़ कर रहा होता है और साथ ही दीवालों कर कील, काँटों और नाखून से साहित्य की रचना कर रहा होता है। उसका नाम था- विनायक दामोदर सावरकर। उन्हें कई बार आत्महत्या के ख्याल आते। उस खिड़की की ओर एकटक देखते रहते थे, जहाँ से अन्य कैदियों ने पहले आत्महत्या की थी। पीड़ा असह्य हो रही थी। यातनाओं की सीमा पार हो रही थी। अंधेरा उन कोठरियों में ही नहीं, दिलोदिमाग पर भी छाया हुआ था। दिन भर बैल की जगह कोल्हू घुमाते रहो, रात को करवट बदलते रहो। 11 साल ऐसे ही बीते। कैदी उनकी इतनी इज्जत करते थे कि मना करने पर भी उनके बर्तन, कपड़े वगैरह धो देते थे, उनके काम में मदद करते थे। सावरकर से अँग्रेज ब