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Showing posts from November, 2017

राजा भानुप्रताप महाभूल पर पछताते रह गए ।

राजा भानुप्रताप के विशाल महल में एक सुंदर वाटिका थी, जिसमें अंगूरों की एक बेल लगी थी। वहां रोज एक चिड़िया आती, मीठे अंगूर चुन-चुनकर खा जाती और अधपके व खट्टे अंगूरों को नीचे गिरा देती। माली ने चिड़िया को पकड़ने की बहुत कोशिश की, पर वह हाथ नहीं आई। हताश होकर एक दिन माली ने राजा को यह बात बताई। यह सुनकर राजा को आश्चर्य हुआ। उसने सोचा,इस चिड़िया को वह खुद पकड़ेंगे और उसे सबक सिखाएंगे। Sonata NG7078YM03 Watch - For Men अगले दिन वह वाटिका में छिपकर बैठ गए। जब चिड़िया अंगूर खाने आई तो राजा ने उसे पकड़ लिया। वह चिड़िया की गरदन मरोड़ने ही वाले थे कि चिड़िया बोली, 'राजन, मैं आपको ज्ञान की चार महत्वपूर्ण बातें बताऊंगी।' राजा ने कहा, 'जल्दी बोलो।' चिड़िया बोली, पहली बात ये कि हाथ में आए शत्रु को कभी मत छोड़ो। राजा ने कहा, दूसरी बात? चिड़िया ने कहा, असंभव बात पर भूलकर भी विश्वास मत करो। तीसरी बात यह है कि बीती बातों पर कभी पश्चाताप मत करो। राजा ने कहा, 'अब चौथी बात भी जल्दी बता दो।' इस पर चिड़िया बोली, 'चौथी बात बड़ी गूढ़ और रहस्यमयी है। मेरी गरदन थोड़ी ढीली करें क्योंकि म

आत्मविश्वास से बड़ी कोई शक्ति नहीं, असंभव को भी संभव कर दिखाती है।

जापान का प्रसिद्ध सेनापति नोबुनागा कम सैनिकों व थोड़े साधनों से ही अपने समर्थ विरोधियों के छक्के छुड़ा देने के लिए प्रख्यात था। वह अपने साथियों का मनोबल बढ़ाए रखने की कला में बहुत कुशल था। युद्ध सन्निकट था, लेकिन सैनिकों की संख्या काफी कम थी। युद्ध जीतना भी था। अत: सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए उसने एक तरकीब निकाली। उन्हें लेकर देवता के मंदिर में गया और सिक्के उछालकर देवता की इच्छा सिद्ध करने लगा। सिक्के चित पड़ें तो जीत, पट पड़ें तो हार समझी जानी थी। सिक्के तीन बार उछाले गए। तीनों ही बार चित पड़े। सभी हर्ष से नाचने लगे, तालियां बजाते हुए चिल्लाने लगे कि जीत, जीत, जीत! लड़ाई लड़ी गई। चार गुनी अधिक संख्या वाली विपक्षी सेना को उन बहादुरों ने तोड़-−मरोड़कर रख दिया और विजय का डंका बजाते हुए वापस लौटे। अभिनंदन समारोह में नोबुनागा ने उसे सैनिकों की नहीं, उनके मनोबल की विजय बताया और रहस्य खोलते हुए वे सिक्के दिखाए, जो उछाले गए थे। वे इस चतुराई के साथ ढाले गए थे कि दोनों ओर वही निशान था, जो चित कहा जाता था। उन्होंने सैनिकों को समझाया कि आत्मविश्वास से बड़ी कोई शक्ति नहीं, वह अस

Rani Padmavati History in Hindi | वीरांगना रानी पद्मिनी की जीवनी

रानी पद्मावती पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा लिखी गई और उनके मुख से बोली गई कविता बड़ी निराली है। इस वीडियो को देखकर आप गर्वित महसूस करोगे । देखने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें👇👇👇👇👇 महारानी पद्मावती जीवनी हमारे देश में जिन वीर बालाओ ने अपने प्राणों की आहुति देकर अपने मान सम्मान की रक्षा की उनमे वीरांगना रानी पद्मिनी (Rani Padmavati) का नाम सर्वोपरि है | राजकुमारी पद्मिनी (Rani Padmavati) सिंहल द्वीप के राजा की पुत्री थी | वह बचपन से ही बड़ी सुंदर और बुद्धिमान थी | पद्मिनी जब बड़ी हुयी तो उसकी बुद्धिमानी के साथ ही उसके सौन्दर्य की चर्चे चारो तरफ होने लगे | पद्मिनी (Padmavati) का लम्बा इकहरा शरीर ,झील सी गहरी आँखे और परियो सा सुंदर रंग रूप सभी का ध्यान आकर्षित कर लेता था | स्वयंवर में हुआ रावल रतनसिंह से विवाह सिंहल द्वीप के अनेक राजपुरुष और आसपास के राजा-राजकुमार आदि पद्मिनी (Padmavati) से विवाह करने के लिए लालायित थे किन्तु सिंहल नरेश राजकुमारी पद्मिनी का विवाह किसी ऐसे व्यक्ति के साथ करना चाहते थे जो उसकी आन-बान और