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Showing posts from May, 2023

: कौन थे वीर सावरकर? जिनकी जयंती पर हो रहा नए संसद भवन का उद्घाटन, क्या है उनके चित्र से जुड़ा विवाद

कौन थे वीर सावरकर? जिनकी जयंती पर हो रहा नए संसद भवन का उद्घाटन, क्या है उनके चित्र से जुड़ा विवाद सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लन्दन में उसके विरुद्ध क्रांतिकारी आन्दोलन संगठित किया। वे भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1905 के बंग-भंग के बाद सन् 1906 में 'स्वदेशी' का नारा दिया और विदेशी कपड़ों की होली जलाई। नया संसद भवन 28 मई 2023 को देशवासियों को समर्पित हो जाएगा। यह दिन आने वाली पीढ़ियों के लिए यादगार बना जाएगा और भारतीय इतिहास के पन्ने में 28 मई बेहद खास दिन बन जाएगा। मगर, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 28 मई को ही स्वातंत्र्य वीर सावरकार की जन्म जयंती भी है। वीर सावरकर की जयंती के अवसर पर ही नए संसद भवन का उद्घाटन किया जा रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले पुराने संसद भवन में वीर सावरकर का तैल चित्र लगाने को लेकर विवाद हो चुका है। 28 मई 1883 को हुआ था वीर सावरकर का जन्म आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर वीर सावरकर कौन थे। सावरकर का

!! हार्ट अटैक !!

हार्ट अटैक !! हमारे देश भारत में 3000 साल पहले एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे. उनका नाम था महाऋषि वागवट जी उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम (Astang hrudayam) और इस पुस्तक में उन्होंने बीमारियों को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखें थे यह उनमें से ही एक सूत्र है ! वागवट जी लिखते हैं कि कभी भी हृदय को घात हो रहा है मतलब दिल की नलियों मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रक्त (blood) में , acidity (अम्लता ) बढ़ी हुई है अम्लता आप समझते हैं ! जिसको अँग्रेजी में कहते हैं acidity अम्लता दो तरह की होती है एक होती है पेट की अम्लता और एक होती है रक्त (blood) की अम्लता आपके पेट में अम्लता जब बढ़ती है तो आप कहेंगे पेट में जलन सी हो रही है ! खट्टी खट्टी डकार आ रही हैं ! मुंह से पानी निकल रहा है ! और अगर ये अम्लता (acidity) और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और यही पेट की अम्लता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त में आती है तो रक्त

गहरा एकदम गहरा ज्ञान...

संकलन:- पंचतंत्र गहरा एकदम गहरा ज्ञान... 1नदी में बाढ़ आती है छोटे से टापू में पानी भर जाता है वहां रहने वाला सीधा साधा1चूहा कछुवे से कहता है मित्र "क्या तुम मुझे नदी पार करा सकते हो मेरे बिल में पानी भर गया है?? कछुवा राजी हो जाता है तथा चूहे को अपनी पीठ पर बैठा लेता है तभी 1 बिच्छु भी बिल से बाहर आता है।कहता है मुझे भी पार जाना है मुझे भी ले चलो, चूहा बोला मत बिठाओ ये जहरीला है ये मुझे काट लेगा। तभी समय की नजाकत को भांपकर बिच्छू बड़ी विनम्रता से कसम खाकर प्रेम प्रदर्शित करते हुए कहता है:भाई कसम से नही काटूंगा बस मुझे भी ले चलो।" कछुआ चूहे और बिच्छू को ले तैरने लगता है। तभी बीच रास्ते मे बिच्छु चूहे को काट लेता है। चूहा चिल्लाकर कछुए से बोलता है”मित्र इसने मुझे काट लिया अब मैं नही बचूंगा।" थोड़ी देर बाद उस बिच्छू ने कछुवे को भी डंक मार दिया।कछुवा मजबूर था जब तक किनारे पहुंचा चूहा मर चुका था!! कछुआ बोला "मैं तो इंसानियत से मजबूर था तुम्हे बीच मे नही डुबोया" मगर तुमने मुझे क्यों काट लिया? बिच्छु उसकी पीठ से उतरकर जाते जाते बोला "मूर्ख तुम जानते नही

आओ खरगोश की अटखेलिया देखे।

क्या आप जानते हैं टेक ईजी लर्न फर्स्ट यूट्यूब चैनल के बारे में ये चैनल आप को रूबरू कर रहा है नन्हे खरगोश की मस्ती से और बचपन में हर किसी की इच्छा रहती है मैं खरगोश के साथ मस्ती करु| हम इस यूट्यूब चैनल पर देख ने वाले है हनीबन्नी नाम के दो खरगोश की मस्ती भरे वीडियो तो देर किस बात आज ही चैनल की सब्सक्राइब करे| Share on WhatsApp

रामधनुष टूटने की सत्य घटना......

रामधनुष टूटने की सत्य घटना...... बात 1880 के अक्टूबर नवम्बर की है बनारस की एक रामलीला मण्डली रामलीला खेलने तुलसी गांव आयी हुई थी... मण्डली में 22-24 कलाकार थे जो गांव के ही एक आदमी के यहाँ रुके थे वहीं सभी कलाकार रिहर्सल करते और खाना बनाते खाते थे...पण्डित कृपाराम दूबे उस रामलीला मण्डली के निर्देशक थे और हारमोनियम पर बैठ के मंच संचालन करते थे और फौजदार शर्मा साज-सज्जा और राम लीला से जुड़ी अन्य व्यवस्था देखते थे...एक दिन पूरी मण्डली बैठी थी और रिहर्सल चल रहा था तभी पण्डित कृपाराम दूबे ने फौजदार से कहा इस बार वो शिव धनुष हल्की और नरम लकड़ी की बनवाएं ताकि राम का पात्र निभा रहे 17 साल के युवक को परेशानी न हो पिछली बार धनुष तोड़ने में समय लग गया था... . इस बात पर फौजदार कुपित हो गया क्योंकि लीला की साज सज्जा और अन्य व्यवस्था वही देखता था और पिछला धनुष भी वही बनवाया था... इस बात को लेकर पण्डित जी और फौजदार में से कहा सुनी हो गया..फौजदार पण्डित जी से काफी नाराज था और पंडित जी से बदला लेने को सोच लिया था ...संयोग से अगले दिन सीता स्वयंवर और शिव धनुष भंग का मंचन होना था...फौजदार मण्डली

प्राचीन भारतवर्ष ( महाभारत कालीन)

प्राचीन भारतवर्ष ( महाभारत कालीन) महाभारत अनुसार में प्राग्ज्योतिष (असम), किंपुरुष (नेपाल), त्रिविष्टप (तिब्बत), हरिवर्ष (चीन), कश्मीर, अभिसार (राजौरी), दार्द, हूण हुंजा, अम्बिस्ट आम्ब, पख्तू, कैकेय, गंधार, कम्बोज, वाल्हीक बलख, शिवि शिवस्थान-सीस्टान-सारा बलूच क्षेत्र, सिंध, सौवीर सौराष्ट्र समेत सिंध का निचला क्षेत्र दंडक महाराष्ट्र सुरभिपट्टन मैसूर, चोल, आंध्र, कलिंग तथा सिंहल सहित लगभग 200 जनपद महाभारत में वर्णित हैं, जो कि पूर्णतया आर्य थे या आर्य संस्कृति व भाषा से प्रभावित थे। इनमें से आभीर अहीर, तंवर, कंबोज, यवन, शिना, काक, पणि, चुलूक चालुक्य, सरोस्ट सरोटे, कक्कड़, खोखर, चिन्धा चिन्धड़, समेरा, कोकन, जांगल, शक, पुण्ड्र, ओड्र, मालव, क्षुद्रक, योधेय जोहिया, शूर, तक्षक व लोहड़ आदि आर्य खापें विशेष उल्लेखनीय हैं। बाद में महाभारत के अनुसार भारत को मुख्‍यत: 16 जनपदों में स्थापित किया गया। जैन 'हरिवंश पुराण' में प्राचीन भारत में 18 महाराज्य थे। पालि साहित्य के प्राचीनतम ग्रंथ 'अंगुत्तरनिकाय' में भगवान बुद्ध से पहले 16 महाजनपदों का नामोल्लेख मिलता है। इन 16 जनपदों में से