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Rani Padmavati History in Hindi | वीरांगना रानी पद्मिनी की जीवनी

रानी पद्मावती पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा लिखी गई और उनके मुख से बोली गई कविता बड़ी निराली है। इस वीडियो को देखकर आप गर्वित महसूस करोगे । देखने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें👇👇👇👇👇 महारानी पद्मावती जीवनी हमारे देश में जिन वीर बालाओ ने अपने प्राणों की आहुति देकर अपने मान सम्मान की रक्षा की उनमे वीरांगना रानी पद्मिनी (Rani Padmavati) का नाम सर्वोपरि है | राजकुमारी पद्मिनी (Rani Padmavati) सिंहल द्वीप के राजा की पुत्री थी | वह बचपन से ही बड़ी सुंदर और बुद्धिमान थी | पद्मिनी जब बड़ी हुयी तो उसकी बुद्धिमानी के साथ ही उसके सौन्दर्य की चर्चे चारो तरफ होने लगे | पद्मिनी (Padmavati) का लम्बा इकहरा शरीर ,झील सी गहरी आँखे और परियो सा सुंदर रंग रूप सभी का ध्यान आकर्षित कर लेता था | स्वयंवर में हुआ रावल रतनसिंह से विवाह सिंहल द्वीप के अनेक राजपुरुष और आसपास के राजा-राजकुमार आदि पद्मिनी (Padmavati) से विवाह करने के लिए लालायित थे किन्तु सिंहल नरेश राजकुमारी पद्मिनी का विवाह किसी ऐसे व्यक्ति के साथ करना चाहते थे जो उसकी आन-बान और
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चीते की प्रतियोगिता कुत्तो से

चीते की प्रतियोगिता कुत्तों से हो रही थी, लोग तुलना करना चाहते थे कि कौन तेज है? सभी हैरान थे कि चीता अपनी जगह से बाहर नहीं आया। लोगों ने रेस संयोजक से पूछा कि आखिर हुआ क्या? रेस संयोजक ने प्रतिक्रिया दी, कृपया इस तस्वीर पर गौर करें। कभी-कभी यह साबित करने कोशिश करना कि आप सबसे अच्छे हैं, "एक अपमान है"। हमें दूसरों के स्तर तक नीचे जाने की जरूरत नहीं है, किसी को समझाने की आवश्यकता नहीं कि हम सबसे बेहतर हैं। गहन विचार करें, अपनी ऊर्जा को सकारात्मक प्रयासों में लगायें, वो करें जो आपके मनोनुकूल हो। चीता अपनी गति का उपयोग शिकार करने के लिए करता है, ना कि कुत्तों को यह साबित करने के लिए कि वह तेज और मजबूत है। अपना मूल्य साबित करने के लिए अपना समय और ऊर्जा बर्बाद ना करें!! लेखक:-केशव राठौर Share on WhatsApp Facebook Share

एक कहानी धनी सेठ की ।

एक धनी सेठ अलग-अलग नगरों में जाकर व्यापार करता था, एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए वह नाव का उपयोग करता था, लेकिन उसे तैरना नहीं आता था, एक दिन वह नदी के रास्ते नाव में बैठकर.... एक प्रचलित कथा के अनुसार पुराने समय में एक सेठ बहुत धनी था। वह अलग-अलग नगरों में जाकर व्यापार करता था। एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए कई बार उसे नाव का उपयोग करना पड़ता था, लेकिन उसे तैरना नहीं आता था। एक दिन वह नदी के रास्ते नाव में बैठकर दूसरे नगर जा रहा था। नदी के बीच में उसने देखा कि उसकी नाव में पानी भरा रहा है। नाव में छेद हो गया था। वह डर गया। अब सेठ भगवान को याद करने लगा। तभी उसे एक मछवारे की नाव और दिखाई दी। सेठ ने मछवारे को आवाज लगाई और कहा कि भाई मेरी नाव डूब रही है, मुझे तैरना भी नहीं आता, अगर तुम मुझे बचा लो तो मैं तु्म्हें मेरी पूरी संपत्ति दे दूंगा। मछवारे ने उसे अपनी नाव में बैठा लिया। कुछ ही देर में साहूकार की नाव पूरी तरह पानी से डूब गई। मछवारे की नाव में बैठा सेठ कुछ सोच रहा था। वह मछवारे से बोला कि भाई अगर मैं तुम्हें मेरी पूरी संपत्ति दे दूंगा तो मेरी पत्नी ना
क्या है बर्बरीक कुंड की महिमा...?? भारत में एक ऐसा मंदिर है, जिसके रहस्य के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है, ये मंदिर देश से लेकर विदेश तक अपने कुंड के लिए मशहूर है।भारत में एक ऐसा मंदिर है, जिसके रहस्य (Secret) के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है, ये मंदिर देश से लेकर विदेश तक अपने कुंड के लिए मशहूर है, दरअसल इस मंदिर में एक ऐसा कुंड है जो हमेशा ही पानी से भरा रहता है, और इस कुण्ड में नहाने के लिए साल भर लोगों का तांता लगा रहता है,बर्बरीक कुंड यानि श्याम कुंड के बारे में, जो भारत के राजस्थान (Rajasthan) के जयपुर(Jaipur) में स्थित एक मशहूर मंदिर खाटू श्याम बाबा के मंदिर का हिस्सा है, खाटू वाले बाबा के मंदिर में स्थित ये कुंड अपने अंदर बहुत से रहस्यों को दबाए हुए है। बाबा श्याम के इस विख्यात मंदिर की कई मान्यताएं और कहानियां (Stories) है, बाबा के मंदिर में मौजूद ये कुंड अपनी उत्पत्ति को लेकर भी कई रहस्य छिपाए हुए है, कहा जाता है कि आज से हजारों साल पहले जब यहां केवल मिट्टी ही थी, तब यहां रोज गाय आया करती थी, और जानवर आया करते थे और इस स्थान पर पहुंचने के बाद ग

इतिहास में छुपाया गया एक सच ....वीर सावरकर जी ।

इतिहास में छुपाया गया एक सच ....वीर सावरकर जी । 45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल पेरवाते हैं, रस्सी बटवाते हैं और छिलके कूटवाते हैं। वो तमाम कैदियों को शिक्षित कर रहा होता है, उनमें राष्ट्रभक्ति की भावनाएँ प्रगाढ़ कर रहा होता है और साथ ही दीवालों कर कील, काँटों और नाखून से साहित्य की रचना कर रहा होता है। उसका नाम था- विनायक दामोदर सावरकर। उन्हें कई बार आत्महत्या के ख्याल आते। उस खिड़की की ओर एकटक देखते रहते थे, जहाँ से अन्य कैदियों ने पहले आत्महत्या की थी। पीड़ा असह्य हो रही थी। यातनाओं की सीमा पार हो रही थी। अंधेरा उन कोठरियों में ही नहीं, दिलोदिमाग पर भी छाया हुआ था। दिन भर बैल की जगह कोल्हू घुमाते रहो, रात को करवट बदलते रहो। 11 साल ऐसे ही बीते। कैदी उनकी इतनी इज्जत करते थे कि मना करने पर भी उनके बर्तन, कपड़े वगैरह धो देते थे, उनके काम में मदद करते थे। सावरकर से अँग्रेज ब

एक नाग कि देवता बनने की कहानी

एक नाग एक मस्जिद के अंदर बिल में रहता था प्रतिदिन 06बार नमाज सुनता था प्रतिदिन की तकरीर भी ध्यान लगाकर सुनता रहता था एक दिन उसका मन हुआ नमाज की इतनी महिमा है तो नमाज मैं भी पढ़ लेता हूं शायद मुझे भी जन्नत मिल जाए, नाग एक दिन ठीक नमाज के समय बाहर निकल नमाजियों की लाइन में लगने चल पड़ा नमाजियों ने नाग देखा तो लाठी डंडे लेकर दौड़ा लिया अब नाग आगे-आगे नमाजी पीछे लाठी पत्थर लेकर, भागते-भागते नाग को एक पुराना सा मन्दिर दिख गया बेचारा वहीं घुसकर शिवलिंग से लिपट गया जान भी बच गई हिंदुओं ने जब शिवलिंग पर लिपटा नाग देखा तो शोर मच गया भीड़ जमा हो गई आरती पूजा शुरू हो गई हिंदु दूध पिलाने जुट गए नाग सोच रहा था कि मैं पहले कहां फंसा पड़ा था मैं तो नमाज पढ़ना चाहता था मुस्लिम तो मुझे जान से मारने जुट गए थे यहां तो सनातनी शिव मंदिर की शरण में दो घड़ी क्या आया यहां तो स्वयं नाग से शेषनाग बन गया यही अन्तर है इस्लाम और सनातन में नाग के हांथ पैर केवल नाग को दिखते हैं नाग के कान भी होते हैं जो नाग को ही दिखते हैं National Science Olympiad (NSO) Work Book for Class 5 - Quick Recap, MCQs

: कौन थे वीर सावरकर? जिनकी जयंती पर हो रहा नए संसद भवन का उद्घाटन, क्या है उनके चित्र से जुड़ा विवाद

कौन थे वीर सावरकर? जिनकी जयंती पर हो रहा नए संसद भवन का उद्घाटन, क्या है उनके चित्र से जुड़ा विवाद सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लन्दन में उसके विरुद्ध क्रांतिकारी आन्दोलन संगठित किया। वे भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1905 के बंग-भंग के बाद सन् 1906 में 'स्वदेशी' का नारा दिया और विदेशी कपड़ों की होली जलाई। नया संसद भवन 28 मई 2023 को देशवासियों को समर्पित हो जाएगा। यह दिन आने वाली पीढ़ियों के लिए यादगार बना जाएगा और भारतीय इतिहास के पन्ने में 28 मई बेहद खास दिन बन जाएगा। मगर, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 28 मई को ही स्वातंत्र्य वीर सावरकार की जन्म जयंती भी है। वीर सावरकर की जयंती के अवसर पर ही नए संसद भवन का उद्घाटन किया जा रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले पुराने संसद भवन में वीर सावरकर का तैल चित्र लगाने को लेकर विवाद हो चुका है। 28 मई 1883 को हुआ था वीर सावरकर का जन्म आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर वीर सावरकर कौन थे। सावरकर का

!! हार्ट अटैक !!

हार्ट अटैक !! हमारे देश भारत में 3000 साल पहले एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे. उनका नाम था महाऋषि वागवट जी उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम (Astang hrudayam) और इस पुस्तक में उन्होंने बीमारियों को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखें थे यह उनमें से ही एक सूत्र है ! वागवट जी लिखते हैं कि कभी भी हृदय को घात हो रहा है मतलब दिल की नलियों मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रक्त (blood) में , acidity (अम्लता ) बढ़ी हुई है अम्लता आप समझते हैं ! जिसको अँग्रेजी में कहते हैं acidity अम्लता दो तरह की होती है एक होती है पेट की अम्लता और एक होती है रक्त (blood) की अम्लता आपके पेट में अम्लता जब बढ़ती है तो आप कहेंगे पेट में जलन सी हो रही है ! खट्टी खट्टी डकार आ रही हैं ! मुंह से पानी निकल रहा है ! और अगर ये अम्लता (acidity) और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और यही पेट की अम्लता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त में आती है तो रक्त